चौथी दुनिया देश का पहला सम्पूर्ण रंगीन साप्ताहिक अखबार है. अपनी खोजपूर्ण तथा विश्लेषणात्मक ख़बरों के कारण चौथी दुनिया ने मीडिया- जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई हैं. वर्ष १९८६ से शुरू हुआ चौथी दुनिया का सफरनामा इसके पाठकों के निरंतर स्नेह और समर्थन के चलते आज भी उसी तेवर के साथ जारी हैं. हमारा विश्वास पत्रकारिता के उन मूल्यों में हैं जो आम आदमी की चिंताओं और सरोकारों को आवाज़ देते हैं. इसीलिए चौथी दुनिया लोगो के बीच इस लम्बी यात्रा में भी अपनी विश्वसनीयता बरकरार रखने में कामयाब रहा है. अपने ख़ास कंटेंट, गंभीर राजनैतिक विश्लेषण, अलग अंदाज़ और सुन्दर छपाई के चलते चौथी दुनिया को 'लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स' में सम्मान-जनक स्थान दिया गया हैं
चौथी दुनिया ने अपनी खोजपूर्ण तथा विश्वसनीय पत्रकारिता की इस यात्रा में पहली बार कई जबरदस्त खुलासे किये है. कोयला घोटाला रंगनाथ मिश्र कमेटी कि रिपोर्ट, सच्चर कमेटी रिपोर्ट और आधार कार्ड से जुडी तमाम सच्चाइयों को उजागर कर उन्हें लोगों के बीच लाने का श्रेय निःसंदेह चौथी दुनिया के ही नाम जाता है. शायद इसीलिए चौथी दुनिया के पाठक वे युवा और संवेदनशील लोग हैं जो न केवल देश के बारे में सोचते हैं बल्कि देश के लिए कुछ करने का जज़्बा भी रखते हैं.